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Tuesday, 6 November 2018

रूक न तू...

मुश्किलो के आगे झुक कर रोता है क्या?
मायूस होकर बैठने से होता है क्या?
बुरा वक्त कट जाएगा एक दिन,
मर्द बन हौसला रख,
जज़्बा चट्टान सा रख तेरा ,
हौसले को कोई यूं खोता है क्या?
न कोई देता है साथ न दे, कोई गम न कर,
ख़ुदी तेरे साथ है फिर सोचता है क्या?
मरना एक दिन सबको है,
यूँ रोज रोज डर के कोई मरता है क्या?
न हार मान, ना अफसोस मना,
आजमाइश का वक़्त है घबरा मत,
सह सह के दवाब कोयला भी हीरा बन जाता है।
बिना बाधाओं के पानी झरना होता है क्या?
पारकर जाएगा सब मुश्किलो को ग़र तू न रुके।
तूफान कहाँ रुकते है रोकने से,
समंदर को कोई बांध कही रोकता है क्या।

©prashantlm

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